समता सैनिक दल

शक्ति, शौर्य, साहस – समता सैनिक दल !!!

बाबासाहेब आंबेडकर ने भारत का संविधान लिखकर हमे इंसान बनकर जीने का, मान सम्मान के साथ एक भारतीय नागरिक बनकर जीने का मुलभुत हक दिया। बाबासाहेब आंबेडकर ने हमे धार्मिक गुलामी से मुक्त कर, बौद्ध धम्म के मार्ग पर चलने का, अपनी धार्मिक आजादी मे जीने का मुलभुत हक भी दिया है।

बाबासाहेब आंबेडकर ने हमे अपने संगठनो ( समता सैनिक दल, भारतीय बौद्ध महासभा और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया) के जरिए मिशन मे हमेशा कार्यरत रहने का भी मुलभुत हक दिया है।

पर ऐसा है, जैसे जैसे हम नीचे उतरते जाते हैं, उतने ही बेईमान और मक्कार बनते जाते हैं। समाज शिक्षा और नौकरी के लिए बाबासाहेब के मार्ग पर तन मन धन लगाकर चलते जाता है। अब थोडा नीचे उतरेगा ( उपर के paragraph के अनुसार) तो वो बाबासाहेब को नकारना शुरू कर देता है। वो कहता है, बाबासाहेब ने बौद्ध बनकर /बनाकर गलती की। हम सयाने है, वो गलती थोडे ही करेगे। अब थोडा और नीचे उतरता है तो वो बाबासाहेब आंबेडकर को टोटली नकार देता है। समता सैनिक दल का तो खैर उसने नाम भी नहीं सुना होता है। बौद्ध बना नहीं तो महासभा का क्या करेगा। रही बात रिपब्लिकन पार्टी की तो…….!

पैसे का काम पैसा करता है। ठीक वैसे ही लाठी का काम लाठी ही करेगी। कोई आपके घर मे जबरदस्ती घुसकर आपकी बहन पर अत्याचार करने की हिम्मत करता है तो उसे आप बहुजन मुलनिवासी का प्रवचन देकर नही सुधार सकते। वो न्याय के मार्ग पर है तब तक वो इस थ्योरी मे फिट है वरना उसे लठ से सुजाना ही पडेगा। बुद्ध ने ऐसे अत्याचारीयो को दंड देने का पुरस्कार किया है। बाबासाहेब कहते हैं, कोई तुम्हे ” रे ” कहे, तो तुम भी पलटकर ” क्यो रे ” बोलने की तैयारी रखो। यहा बुद्ध और आंबेडकर दोनो प्रतिउत्तर / आत्मरक्षा जिसे हम पलटवार कहते हैं, उस मुक्ती मार्ग पर चलने का मुलभुत संदेश दिया है। बाबासाहेब आंबेडकर ने आत्मरक्षा /प्रतिउत्तर देने के लिए ही समता सैनिक दल ( SSD) की स्थापना की, संस्थापक अध्यक्ष बनकर।

1 जनवरी 2018 भीमा कोरेगांव। मुख्य स्तंभ से 12 किलोमीटर दुर चाकन गाव। यहा रास्ते पर दंगाईयो ने सफेद वस्त्र मे जा रहे भीम अनुयायीयो पर कायराना हमला करना शुरू कर दिया। उनकी गाडियों को तोड़ा जा रहा था, जलाया जा रहा था। पुरूषो के साथ 2 महिलाओं को पिटा जा रहा था। छोटे छोटे बच्चे रो रहे थे, चीख रहे थे, रो रो कर गिडगिडा रहे थे, हाथ जोडकर नही मारने की गुहार कर रहे थे मासुम। बर्बर और निर्दयी मनु के गुलाम मानवता की भाषा कब समझे है।

इधर भीमा कोरेगांव स्तंभ के पास लाखो की तादाद मे पुरे भारत से आए लोग मौजूद थे। वहा पर देश का हर मजबुत संगठन था। बामसेफ, भीम आर्मी से लेकर हर दल के बंदे वहा थे। पर भैया युद्धकाल मे क्या करना है, कैसे करना है, ये उनकी ट्रेनिंग कैडर कैम्प मे कभी इन अबोधो को सिखाया ही नहीं गया ।

समता सैनिक दल के हर शहर के ज्यादातर युनिट वहा मौजूद थे, खासकर चंद्रपुर और हैदराबाद युनिट ने बेहतरीन काम किया । वो तुरंत एकत्रित हुए और मार्च शुरू कर दिया । जिस रास्ते पर दंगे हो रहे थे, वहा पहुचकर जो समाज बंधु वहा फस गए है,उन्हे वहा से निकालना, यह ध्येय लेकर वो चल पडे। आगे पीछे कई युनिट जान का खतरा होते हुए निकल पडे क्योंकि आज उन्हें बाबासाहेब द्वारा उनपर किए गए भरोसे को सही साबित करना था।

जो लोग military warfare से वाकिफ है, उन्हें पता है मिलट्री बैंड का महत्व। नेपोलियन के बैंड जगप्रसिद्ध थे। वो अकेले निकलते थे और दुश्मन की सीमा तक पहुचते 2 ,हजारो सैनिक शामिल हों जाते थे। युद्ध मे जब आपके बैंड की आवाज सुनाई पडती है तो आपके सैनिक जहा कही भी हो, उस बैंड तक पहुचकर बडी शक्ति मे तब्दील होते हैं। ठीक ऐसा ही भीमा कोरेगांव मे हुआ। जब समता सैनिक दल के बैंड की आवाज आसपास के खेतो मे जान बचाकर छिपे हुए लोगों तक पहुची तब जाकर उनमे विश्वास पैदा हुआ। वे लोग वहा से निकलकर बैंड की दिशा मे दौड पडे और अब उस मार्च का हिस्सा बन गए। धीरे 2 लोग जुडते गए और एक बडी शक्ति मे तब्दील हो गए।

समता सैनिक दल का अनुमान था, कुछ सौ दो सौ लोग शायद वहा फसे हो, जिन्हें उन्हें rescue करके निकालना है। मगर देखते 2 करीब पाच हजार लोग आगे पीछे अपनी सैन्य टुकडियो के साथ वहा से सुरक्षित निकाले गए। देखते देखते यह आंबेडकरवादी आंदोलन के इतिहास का सबसे बड़ा rescue operation बन गया। इस कार्य को हमारे इतिहास में स्वर्ण अक्षरो मे लिखा जाना चाहिए।

5 हजार का आकडा हमे डराता है। शाम हो रही थी, हर तरफ आग और धुए के बादल थे। अंधेरा होने के बाद महिलाओं बच्चो के साथ क्या होता, सोचकर कांप उठता हु । इस साल इन बातों का ख्याल रखिए।

जब मार्च आगे बढ़ रहा था, दंगाई दुगनी शक्ति से हमला करने पहुच गए। पर अब मामला पलट गया। जो लोग कुछ समय पहले पत्थर खा रहे थे, अब उन्होने आत्मरक्षा मे ईट का जवाब पत्थर से दिया। दंगाईयो को ना सिर्फ पीछे हटना पडा, वो वहा से दुबककर जान बचाकर अपने घर को भाग गए।

समता सैनिक दल के अनुशासन की कडी परिक्षा अब भी बाकी थी। उन्हें ना सिर्फ अपने गुस्से को काबू करना था, बल्कि जो लडके दंगाईयो को पीटने उनके पीछे भाग रहे थे, उन्हें भी रोकना था। उनका मुख्य उद्देश्य यही था, पहले लोगो को यहा से सुरक्षित निकालना। जो भी क्रिया की प्रतिक्रिया थी वो 2 और 3 जनवरी को तो होकर रहेगी, पर पहले इन्हें बचाना, सुरक्षित निकालना ही अपना मुख्य उद्देश्य है।

हमारा समाज जिस उदार मन से संघ के स्वयंसेवको के अनुशासन की तारीफ करते नही थकता । उससे भी विषम परिस्थिति मे सुरक्षा का कार्य करने वाले समता सैनिक दल के लिए वो दो शब्द नही निकाल पाता। शायद हेगडेवार ने संघ बनाया इसलिए वो तारीफ करते हैं। यह संगठन बाबासाहेब आंबेडकर ने बनाया इसलिए तारीफ करना गुनाह है। अगर भारत के दलित इसमे भारी तादाद मे शामिल होते हैं तो संघ से दस गुना बडा संगठन यह बन सकता है। इसलिए बाबासाहेब को जानना नही है, उन्हें मानना भी पड़ेगा।

आज समाज insurance निकालता है। पर वो तो आपके जाने के बाद काम का है। ठीक उसी तरह समता सैनिक दल भी सामाजिक सुरक्षा का insurance है। कब जरूरत पड जाए कह नही सकते। समता सैनिक दल मे बच्चे, बुड्ढे, नौजवान साल भर ट्रेनिंग लेते हैं, शायद ऐसे हालात के लिए ही।

लंबी पोस्ट के लिए माफ करे। एक उदाहरण लगे हाथ देना चाहुगा। पिछले वर्ष बिहार मे एक चमार व्यक्ति ने मछली का ठेका लिया। इससे चिढकर मनु के वंशजो ने रात को उसके घर पर हमला कर दिया। वो संख्या मे 7 या आठ थे बल्की उस दलित बस्ती मे 1500 दलित रहते थे। उन्होने मा बाप भाई को मार डाला और 14 वर्ष की नाबालिग लडकी का सामूहिक बल्तकार रात भर करते रहे। यह परिवार चिल्लाते रहा, पर…. … !

अगर उस बस्ती में समता सैनिक दल होता। तो वो सैनिक तुरंत हरकत मे आते। अपने ढोल ,पोंगा, बैंड के साथ वो घर की तरफ मार्च करते। उस बैंड के साथ लोग जुडते और बडी शक्ति मे तबदील हो जाते। शायद, यह सब नही होता और आगे से कोई ऐसी हरकत करने की हिम्मत भी नही करता। संविधान हमे आत्मरक्षा का अधिकार देता है और बाबासाहेब ने आपको बचाव के लिए जो हथियार दिया है, वो है समता सैनिक दल।

पढे लिखे, लाखो कमाने वाले कह सकते हैं। हम गंदी बस्ती में नही रहते। हम सुरक्षित जगह रहते हैं। उनको इस उदाहरण से समझना चाहिए। हमारी एक मित्र का बच्चा स्कूल जाने पर कई सवाल करने लगा, दुसरे धर्मो और समुदाय के कल्चर पर। उसे समझाया पर वो समझा नही। बहना ने एक उल्लेखनीय कार्य किया। बच्चे को हर रविवार को होने वाले बच्चों की ड्रील मे शामिल कर दिया। उसके बाद बच्चे ने कुछ पूछा भी नहीं और वो सब समझ /सीख गया।

समता सैनिक दल सुरक्षा ही नहीं आने वाली पिढी मे अपने कल्चर और संस्कार का बीज बोने का महान कार्य करती हैं।

जय भीम ।जय भारत।

#ActivistCT

Note- Post taken from Chetan Tambe Sir’s wall..I personally don’t want to criticise any Ambedkarite organisations

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